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1.3 करोड़ होम बायर्स ने EMI की पेमेंट रोकी, मिडिल क्‍लास की ‘बगावत’ से चीनी राष्‍ट्रपति परेशान!

विरोध के तहत 24 स्टेट के करीब 235 प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट के 1.3 करोड़ बायर्स ने होम लोन की ईएमआई की पेमेंट रोक दी है. लोगों का कहना है कि बिल्डर समय पर पजेशन नहीं दे रहा है. वे एक तरफ लंबे समय से किराया दे रहे हैं साथ ही ईएमआई भी भर रहे हैं.

बेशक चीनी सरकार देश में सबकुछ ठीक होने का दावा करे, लेकिन चीन के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है. पिछले 2-3 साल में चीन को अलग-अलग मोर्चों पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बात चाहे जनसंख्या की हो, अर्थव्यवस्था की हो या फिर कोरोना व उसके बाद पैदा हुए बैंकिंग औऱ रियल एस्टेट क्राइसिस की हो. हर तरफ बुरी स्थिति है और अब लोग इसे लेकर विरोध में उतरने लगे हैं. इसी कड़ी में अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मिडिल क्लास के विद्रोह को झेलना पड़ रहा है. इस विरोध के तहत करोड़ों लोगों ने होम लोन की ईएमआई की पेमेंट रोक दी है.

235 प्रोजेक्ट के बायर्स हैं फंसे हुए

चीन में मिडिल क्लास का यह विद्रोह छोटा नहीं है. इसकी व्यापकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां के 31 में से 24 स्टेट के करीब 235 प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट के 1.3 करोड़ बायर्स ने होम लोन की ईएमआई की पेमेंट रोक दी है. लोगों का कहना है कि बिल्डर समय पर पजेशन नहीं दे रहा है. वे एक तरफ लंबे समय से किराया दे रहे हैं साथ ही ईएमआई भी भर रहे हैं, जबकि पजेशन का वादा बहुत पहले किया गया था.

दूसरे सेक्टर भी हो सकते हैं प्रभावित

कोरोना काल में चीन की जीरो कोविड पॉलिसी ने वैसे तो कई सेक्टर को नुकसान पहुंचाया, लेकिन इसने सबसे ज्यादा क्षति पहले से ही सरकारी नीतियों से बीमार पड़े रियल एस्टेट सेक्टर को पहुंचाई. फंड के अभाव में अधिकतर प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पा रहे हैं. रिसर्च संस्था कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस के मुताबिक, रियल एस्टेट की यह मंदी जल्द ही चीन के दूसरे सेक्टरों को प्रभावित करने लगेगी.

70% लोग करते हैं प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो चीन में करीब 70 पर्सेंट लोग रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं. यह अमेरिका से भी अधिक है. अमेरिका में करीब 40 या 50 फीसदी लोग ही प्रॉपर्टी में पैसा लगाते हैं, लेकिन यह आंकड़ा भी पिछले 2 साल में कम हुआ है. दरअसल, कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में देश में बेरोजगारी हुई और लोगों की इनकम बंद हो गई. ऐसे में अधिकतर लोगों ने निवेश करना छोड़ दिया है.

जिनपिंग के लिए हो सकती है दिक्कत

ये सारी समस्याएं जिनपिंग के लिए भारी पड़ सकती हैं. दरअसल, जीरो कोविड पॉलिसी की वजह से जिनपिंग की लोकप्रियता पहले ही काफी घटी है. लोग इसका काफी विरोध कर रहे हैं. वहीं बैंकिंग समस्या की वजह से यह दिक्कत और बढ़ गई है. इसके अलावा देश में इस साल के शुरआती 6 महीनों में 31 लाख उद्योग-कारोबार बंद हो चुके हैं. इसी साल नवंबर में कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में जिनपिंग तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे, लेकिन मिडिल क्लास का ये विद्रोह उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

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