अनुभव गुप्ता, नई दिल्ली।
नकली भारतीय सिक्के के इंटरस्टेट सिंडिकेट में शामिल एक सदस्य को मुंबई से स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 09 लाख 46 हजार रुपये के 10 वाले सिक्के को भी बरामद किया है। इस मामले में गिरफ्तार आरोपी की पहचान जिग्नेश गाला के रूप में हुई है। इसकी गिरफ्तारी अप्रैल 2022 में पर्दाफाश किए गए पिछले मॉड्यूल की आगे की जांच के बाद हुई है। जिसमें 10.48 लाख मूल्य के सिक्के को बरामद किया गया था। निकली सिक्का बनाने की फैक्ट्री का भी हरियाणा में भंडाफोड़ किया गया था।
डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने बताया की पिछले साल अप्रैल में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की टीम ने पूरे भारत में चल रहे नकली सिक्के के गोरखधंदे के एक इंटरस्टेट सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था। उसमें रैकेट के मास्टरमाइंड नरेश कुमार को गिरफ्तार किया गया था और स्पेशल सेल में एक एफआईआर दर्ज किया गया था। उससे पूछताछ के आधार पर सिक्के के नकली फैक्ट्री और गोदाम के बारे में पता चला। जो हरियाणा के चरखी दादरी के गाँव इमलोता में चरखी दादरी में रेड करके 04 को गिरफ्तार किया गया। यहां 5, 10 और 20 रुपये के सिक्के बनाये जा रहे थे। उसके लिए मशीनें और कच्चा सामान आदि रखा हुआ था।
आरोपियों की जांच के दौरान यह पता चला कि इस सिंडिकेट द्वारा बड़ी मात्रा में नकली सिक्के बनाये गए। जो मुंबई सहित पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर सप्लाई की गई थी। छानबीन में पूरे सिंडिकेट के सदस्यों का पता लगाने के लिए जांच की गई, तो मुंबई के एक जिग्नेश गाला की संलिप्तता और उसकी मिलीभगत के बारे में पता चला। जिग्नेश का ठिकाना मुंबई में था।
इंस्पेक्टर सोमिल शर्मा, एसआई प्रह्लाद, सवीन खरब, हेडकांस्टेबल प्रमोद कुमार, मनीष कुमार और मुकेश कुमार की टीम का गठन किया गया और मुंबई भेजा गया। वहां गुप्त सूचना पर जिग्नेश गाला को मुंबई के मलाड पूर्व से गिरफ्तार किया गया। उससे गहन पूछताछ की गई, तो उसने नरेश कुमार के माध्यम से नकली सिक्के की कई खेप प्राप्त करने की बात स्वीकार की।
फिर स्पेशल सेल की टीम ने आरोपी की निशानदेही पर 10 रुपये वाले 9 लाख 46 का सिक्का बरामद किया। जो उसके रेसिडेंशियल सोसायटी में खड़ी इको वैन में रखी हुई थी। कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान आरोपी जिग्नेश गाला ने खुलासा किया की वह पिछले 7-8 सालों से नकली सिक्कों को खरीदने और आगे डिस्पोजल में शामिल था। पहले वह सूरत में बैंकों, लोकल व्यापारियों से सिक्के इकठ्ठा करता था।
फिर गलत सम्पर्क होने पर वह इस गोरखधंदे मे मास्टरमाइंड नरेश कुमार के सम्पर्क में आ गया। नरेश अलग-अलग यात्री बसों के जरिये जयपुर से मुंबई तक सिक्कों की खेप पहुंचाता था। बाद में उसने ट्रैवल एजेंटों के जरिए भी ऐसी खेप भेजना शुरू किया। लगभग 2 बरसों में उन्होंने लगभग 15-16 ऐसी खेप प्राप्त की और खुले बाजार में डिस्पोजल किया।