अनुभव गुप्ता, नई दिल्ली।
स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने धोखाधड़ी के मामले का खुलासा करते हुए एक आरोपी को प्रयागराज से गिरफ्तार किया। इसकी पहचान घनश्याम यादव (33) के तौर पर हुई है। आरोपी ने नई पेंशन योजना के तहत परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (पीआरएएन) से आंशिक निकासी की सुविधा का फायदा उठाकर वारदात को अंजाम दिया।
डीसीपी प्रशांत गौतम के मुताबिक, ऑफ़लाइन अनुरोधों में आने वाली कठिनाई को देखते हुए कोविड के दौरान स्व-घोषणा/प्रमाणीकरण के माध्यम से एनपीएस के तहत पीआरएएन में रखी राशि के 25 प्रतिशत आंशिक निकासी के लिए विशेष ऑनलाइन ओटीपी आधारित तंत्र का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यूनिट के निकासी और वितरण अधिकारी (डीडीओ) के माध्यम से फिजिकली वेरीफिकेशन से बचने के लिए कोविड के दौरान ग्राहक द्वारा वास्तविक निकासी सुनिश्चित करने के लिए ग्राहक के मोबाइल नंबर और उसके पीआरएएन से जुड़े ईमेल पर ओटीपी भेजकर दोहरा प्रमाणीकरण किया जाता था।
जांच में मालूम हुआ है कि आरोपी बीएसएफ की 122वीं बटालियन में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात था। मई 2019 में मलाडा, पश्चिम बंगाल में उसे सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। इसी अवधि के दौरान उसे 122वीं बटालियन के डीडीओ का लॉगिन क्रेडेंशियल मिला था। यूनिट की लेखा शाखा में जाकर उसने 122वीं बीएन बीएसएफ के डीडीओ के चोरी हुए क्रेडेंशियल्स के माध्यम से एनपीएस पोर्टल तक अनाधिकृत पहुंच प्राप्त की। साथ ही एनपीएस पोर्टल की सभी विशेषताओं और कार्यों को समझा। उसने सुरक्षा प्रश्नों में बदलाव के माध्यम से डीडीओ के खाते में पहुंच प्राप्त करने में एनपीएस ऑनलाइन प्रणाली की भेद्यता के बारे में सीखा और बीएसएफ के 5 और डीडीओ खातों में अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने के लिए इसका फायदा उठाया।
संबंधित बटालियन के सभी कर्मियों के प्रान के डेटा बेस तक पहुंच के साथ प्रान ग्राहकों के विवरण बदलने के विशेषाधिकार के साथ, आरोपी घनश्याम ने उन ग्राहकों को निशाना बनाया, जिनके खाते में ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर उनके प्रान से नहीं जुड़े थे, वर्ना उन्हें अलर्ट मिल जाता। आरोपी ने टारगेट किए गए प्रान में अपना मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और बैंक अकाउंट नंबर भर दिया था। आईएफएसओ यूनिट को बीएसएफ के संबंधित विभाग से इस धोखाधड़ी के बारे में शिकायत मिली थी। जिस पर इंस्पेक्टर राजीव मलिक की निगरानी में टीम को लगाया गया था और आरोपी को प्रयागराज से पकड़ा।
वह अपना नाम श्याम सिंह रखकर वहां अपनी प्रेमिका के साथ रह रहा था। उसने वहां खुद को यूपी पुलिस के संचार विभाग में कॉन्स्टेबल बता रखा था। उसकी कार पर पुलिस का स्टीकर भी लगा हुआ था और यूपी पुलिस की टोपी व वर्दी भी थी। जांच में मालूम हुआ है कि आरोपी कारोबारियों व मनी एक्सचेंजर्स के बैंक अकाउंट्स में एंट्री लेता था। बदले में उन्हें कमीशन देता और कैश ले लेता था। रीवा, मध्य प्रदेश के 2 खातों में प्रान से ठगी गई पूरी राशि के क्रेडिट होने का पता चला है। उसने अपने आधार कार्ड पर सीएमओ प्रयागराज के जाली स्टाम्प का प्रयोग कर आधार के पोर्टल पर नाम परिवर्तन का जाली अनुरोध अपलोड कर अपना नाम बदल लिया था।