मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी है मोक्षदा एकादशी, जानें पूजा विधि, शुभ समय व व्रत कथा
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

Mokshada EKadashi 2021: हिंदू कैलेंडर में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, मोक्षदा एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। जो अपने नाम से ही यानि मोक्षदा यानि मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना और उपासना किए जाने का विधान है।
माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा आदि धार्मिक कार्य करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। साथ ही ये धार्मिक क्रियाएं इस जन्म में सभी पापों का भी नाश करती हैं। मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) ने भी कुरूक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। ऐसे में इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन के संबंध में मान्यता है कि इस दिन व्रत के समय व्रत की कथा का पाठ जरूर किया जाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। ज्ञात हो कि कि इस साल यानि 2021 में मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती 14 दिसंबर (Gita Jayanti 2021) को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी 2021 का मुहूर्त-
एकदाशी तिथि : सोमवार, 13 दिसंबर, 09:32 PM से प्रारंभ
एकदाशी तिथि का समापन: मंगलवार, 14 दिसंबर 11:35 PM पर
व्रत का पारण: 15 दिसंबर 07:05 AM से 09:09 AM तक
मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक प्राचीन काल में गोकुल में वैखानस नाम के राजा हुए। जिन्होंने एक रात सपने में अपने पिता को मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेलते देखा। सपने में पिता की यह हालत देख वह अत्यंत दुखी हुए। और सुबह होते ही अपने राज पुरोहित को बुला लिया फिर उनसे पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा।
इस पर राज पुरोहित ने कहा कि इस समस्या का निवारण त्रिकालदर्शी महात्मा जिनका नाम पर्वत है वे ही कर सकते हैं। राजा राज पुरोहित की बात सुनने के पश्चात पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे और उनसे पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। इस पर महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिस कारण वो नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं।