पॉल्युशन की पड़ी ऐसी मार, उजड़ गया छोटा सा आशियाना
कंस्ट्रक्शन साईट पर काम करने वाले मजदूरों के आशियाने यहाँ बनी झुग्गियां इसके उजड़ जाने की दास्तां बयाँ करती नजर आ रही हैं। ये उन मजदूरों का आशियाना हुआ करता तो जो हर दिन कंस्ट्रक्शन साईट पर काम कर के अपने परिवार के लिए 2 वक़्त की रोटी का इंतजाम करते थे।

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के साथ प्रदूषण का कहर भी जारी है। यहाँ की एयर क्वालिटी इंडेक्स इतनी खराब है कि लोगों में सांस और आंखों की जलन जैसी समस्या आम हो चुकी है। इस वजह से कई बार कंस्ट्रक्शन साईट के काम को भी सरकार बंद करवा चुकी है।
द्वारका उपनगरी भी पॉल्युशन का हॉटस्पॉट बना हुआ है। यहाँ कई पॉल्युशन साईट होने की वजह से लगातार धूल- मिट्टी उड़ती रहती है। जिस कारण यहां के लोगों का साँस लेना भी दूभर हो चुका है। इस कारण कई बार यहाँ के कई कंस्ट्रक्शन साईट को बंद करना पड़ा है। इस से यहां होने वाले प्रदूषण पर थोड़ी लगाम तो जरूर लगी है। लेकिन इसका सीधा और बुरा असर इन साईटों पर काम करने वाले कामगारों पर पड़ा है।
देवानंद पासवान (गार्ड
द्वारका इलाके में कंस्ट्रक्शन साईट पर काम करने वाले मजदूरों के आशियाने यहाँ बनी झुग्गियां इसके उजड़ जाने की दास्तां बयाँ करती नजर आ रही हैं। ये उन मजदूरों का आशियाना हुआ करता तो जो हर दिन कंस्ट्रक्शन साईट पर काम कर के अपने परिवार के लिए 2 वक़्त की रोटी का इंतजाम करते थे।
लेकिन कंस्ट्रक्शन साईट के बंद होने से इन मजदूरों के लिए अपने परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया। जिस वजह से उन्हें अपना ये आशियाना छोड़ कर वापस अपने गाँव को लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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