निगम क्षेत्र में व्यापारी 500 क्विंटल और दूसरे 250 क्विंटल से अधिक तेल नहीं रख पाएंगे
राज्य के हर व्यापारी के लिए खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा तय कर दी गई है। कोरोना में जमाखोरी रोकने का लेकर सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। नई व्यवस्था के अनुसार नगर निगम क्षेत्र के व्यापारियों के लिए अधिकतम 500 क्विंटल तेल और एक हजार क्विंटल तिलहन रखने की छूट दी गई है।

राज्य के हर व्यापारी के लिए खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा तय कर दी गई है। कोरोना में जमाखोरी रोकने का लेकर सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। नई व्यवस्था के अनुसार नगर निगम क्षेत्र के व्यापारियों के लिए अधिकतम 500 क्विंटल तेल और एक हजार क्विंटल तिलहन रखने की छूट दी गई है। इसके अलावा दूसरे क्षेत्र के व्यापारी के लिए यह स्टॉक सीमा आधी हो जाएगी। 250 क्विंटल तेल और पांच सौ क्विंटल तिलहन से अधिक रखने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्हें अपने स्टॉक की जानकारी लगातर खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की वेबसाइट पर देनी होगी।
सरकार की यह नई व्यवस्था 31 मार्च तक लागू रहेगी। पिछले कोरोना काल में तेल की जमाखोरी के कारण कीमतों में जो उछाल आया उसमें बहुत गिरावट अब तक नहीं आई है।
कीमतें और नहीं बढे़ इसके लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट कर जमाखोरी रोकने का प्रयास अभी से शुरू कर दिया है। अगर किसी व्यवापारी के पास इस व्यवस्था के लागू होने के पहले से स्टॅक में ज्यादा तेल या तिलहन है तो उन्हें उसका खुलासा तुरंत करना होगा। साथ ही एक महीने के भीतर स्टॉक को लिमिट के अंदर लाना होगा।
इसके पहले कोरोना की शुरुआत में ही जुलाई 2020 में केंद्र सरकार ने खुले में खाद्य तेल बेचने पर रोक लगा दी थी। वह व्यवस्था अब तक प्रभावी है। लेकिन छोटे बाजारों में इसका असर देखने को कम ही मिलता है। उस प्रावधान में खुले में तेल बेचने पर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। हालांकि ऐसा प्रावधान 2011 से ही देश में लागू है लेकिन डेढ़ साल पहले केन्द्र सरकार ने इसका कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया था।
सरकार का मानना है कि खुला तेल बेचने में मिलावट की आशंका बनी रहती है, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव होता है। कोरोना में स्वास्थ्य पर दूसरे बुरे प्रभाव का असर घातक होता है। लिहाजा सरकार की मिलावट रोकने की यह पुरानी व्यवस्था अब भी लागू है।
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